Q 310. Kisi Gareeb ko kapda dene ki niyat ki magar us gareeb ko nahi diya aur khud hi silwa liya. kya ye amal durust hai ?

Quest code (310)

अस्सलामुअलैकुम…

सवाल:

एक कुर्ते का कपड़ा रखा था जिसे अभी सिलवाया नहीं था,

ईद में पहनने के इरादे से उसे लाये थे…!

रमज़ान में एक ग़रीब को देखकर ये ख्याल हुआ और दिल में नियत की, कि वो कपड़ा मैं इसे दे दूंगा.

लेकिन रमज़ान खत्म होते होते देखा की उस ग़रीब को अच्छे खास कपड़े मिल चुके हैं.

आखिरकार वो कपड़ा उस गरीब को देने का ख्याल तर्क करके खुद सिलवाकर ईद में पहन लिया.

क्या खुद सिलवाकर पहन लेने का ये अमल दुरुस्त है, जबकि उस कपड़े को देने की नियत की जा चुकी थी…???

ये मामला मेरा खुद का है. मैं कमाता नहीं हूँ.

और वो कपड़ा लाने की रक़म भी वालिद साहब ने दी थी.

बराए मेहरबानी इस्लाह फरमायें…!

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